रुद्रप्रयाग:राष्ट्रभाषा हिन्दी और हिन्दी साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए रुद्रप्रयाग जनपद में एक ऐतिहासिक पहल देखने को मिली, जब पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत के सौजन्य से राजकीय बालिका इंटर कॉलेज अगस्त्यमुनि में पुस्तक वितरण व सम्मान समारोह का भव्य आयोजन किया गया। सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना अंतर्गत तीरथ सिंह रावत की अनुशंसा पर जिला ग्राम्य विकास अभिकरण रुद्रप्रयाग को मुख्य शिक्षा अधिकारी के माध्यम से कार्यदायी संस्था बनाया गया, जिसके तहत हिन्दी साहित्य से संबंधित महान लेखकों की रचनाओं से समृद्ध मिनी लाइब्रेरी की पुस्तकों का वितरण जनपद के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में किया गया।
सांसद निधि से 60 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को दस हजार, 32 उच्च विद्यालयों को पच्चीस हजार तथा 16 इंटर कॉलेजों और कॉलेजों को पचास हजार रुपये की पुस्तकों का वितरण किया गया। इस अवसर पर हिन्दी साहित्य में विशेष योगदान देने वाले सात साहित्यकारों — ओमप्रकाश सेमवाल, विनोद भट्ट, कविता भट्ट, अनूप नेगी, विमला राणा, डॉ. सुभाष पांडेय और गंगाराम सकलानी — को सम्मानित किया गया। रुद्रप्रयाग जनपद के इतिहास में यह दूसरा अवसर रहा जब एक साथ 108 शैक्षणिक संस्थानों को पुस्तकें प्राप्त हुईं और साथ ही जनपद के साहित्यकारों का सम्मान भी किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला शिक्षा अधिकारी (बेसिक) अजय चौधरी ने कहा कि “पुस्तकें गुरुओं की भी गुरु होती हैं। शिक्षा का वास्तविक मूल्य तभी संभव है जब पुस्तकों को पढ़ने और समझने की प्रवृत्ति जीवित रहे।” उन्होंने कहा कि विद्यालयों में पुस्तकालयों की स्थापना बच्चों के ज्ञान, संस्कार और व्यक्तित्व निर्माण के लिए अनिवार्य है। खण्ड शिक्षा अधिकारी अतुल सेमवाल ने अपने संबोधन में कहा कि अपनी भाषा और संस्कृति को जीवित रखने के लिए निरंतर और सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि “औपनिवेशिक प्रभाव के चलते हम अपनी पहचान और बोलियों को अपनाने में पीछे रह गए हैं, अब हमें इस सोच को बदलना होगा।”
उप शिक्षा अधिकारी तनुजा देवराड़ी ने कहा कि बच्चों में पुस्तक अध्ययन की आदत विकसित करना समय की आवश्यकता है, ताकि वे मोबाइल और इंटरनेट की लत से दूर रह सकें। विद्यालय की प्रधानाचार्य एवं कार्यक्रम आयोजक रागिनी नेगी ने कहा कि भवन और संसाधन तो कई बार मिलते हैं, लेकिन पुस्तकों का वितरण जैसी पहल रुद्रप्रयाग के शिक्षा जगत के लिए प्रेरणादायक कदम है। उन्होंने कहा कि ये पुस्तकें विद्यार्थियों के लिए ज्ञान का नया द्वार खोलेंगी। संस्कृत सहायक निदेशक मनसाराम मैदूली ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि “सोशल मीडिया के इस युग में पुस्तकें ही वह साधना हैं जो विभिन्न संस्कृतियों के बीच संवाद का सेतु बनाती हैं।”
कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार गंगाराम सकलानी ने किया। उन्होंने कहा कि “माननीय पूर्व सांसद तीरथ सिंह रावत के इस प्रयास से न केवल विद्यालयों को पुस्तकें मिली हैं, बल्कि विचारों के युद्ध में एक अमूल्य अस्त्र भी प्राप्त हुआ है।” उन्होंने इसे ज्ञान, संस्कृति और भाषा के संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया।
रुद्रप्रयाग में आयोजित यह समारोह न केवल हिन्दी साहित्य के प्रति सम्मान का प्रतीक बना, बल्कि इसने एक बार फिर यह संदेश दिया कि तकनीक और इंटरनेट के युग में भी पुस्तकें मानव जीवन का सबसे सशक्त साधन हैं — जो सोच, संस्कार और सभ्यता को नई दिशा देती हैं।






