दरमोला ग्राम सभा में आर.डी.एफ. (रेस्टोरेशन ऑफ डिग्रेडेड फॉरेस्ट) योजना के तहत “वन उपज से आजीविका संवर्धन” विषय पर तीन दिवसीय गहन प्रशिक्षण कार्यशाला की शुरुआत हो गई, जिसमें ग्रामीणों को स्थानीय वन उपज के रचनात्मक और आर्थिक उपयोग के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस कार्यशाला का उद्देश्य पिरूल, छेंती, बांस और घास जैसी उपलब्ध वन उपज को आजीविका के साधन के रूप में विकसित करना है, ताकि ग्रामीणों की आय बढ़ सके और वन संरक्षण को भी मजबूती मिले।
वन विभाग की पहल पर आयोजित इस प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को राखी, सजावटी सामग्री, टोकरी, कलाकृतियां, पेन होल्डर और फ्लावर पॉट जैसे विभिन्न हस्तशिल्प उत्पाद बनाने का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। विशेषज्ञ प्रशिक्षकों की देखरेख में ग्रामीण पारंपरिक संसाधनों से आधुनिक और बाजार योग्य उत्पाद तैयार करना सीख रहे हैं।
वन विभाग रुद्रप्रयाग के उप वन संरक्षक रजत सुमन ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम ग्रामीण आजीविका को सुदृढ़ करने में अत्यंत कारगर साबित होंगे। उन्होंने बताया कि वन विभाग भविष्य में भी ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम लगातार जारी रखेगा, ताकि स्थानीय समुदायों को कौशल विकास के साथ वन उपज के बेहतर उपयोग के अधिक अवसर मिलते रहें।






